( तर्ज न एक छोटासा बच्चा हूं ० )
गुरु का छोटासा तीरथ है ,
यहाँ रम गये भगवान ,
दिखा ' गुरुकुंज ' मुझे ॥ टेक ० ॥
बड़े बड़े तीरथ को छोड़ा ,
पुरी , अयोध्या , काशी ।
झाड - झूड और गर्द लता में ,
बैठ गये अविनाशी ।
सुनते भजन यहाँ खंजरि का ,
नाचे गाये गान || दिखा ० ॥ १ ॥
सुन्दर शोभा यहाँ खिली सी ,
जिधर उधर लगती है ।
जागृत है सत संग यहाँ का ,
मिलती ऊर्ध्व गती है ।
होता ध्यान यहाँ , चिन्तन का ,
सधे समाधी स्थान ॥ दिखा ० ॥ २ ॥
व्यसनीयोंका जीवन बदला ,
महापाप से छूटे |
कहता तुकडचा वही तर गये ,
जो गुरुपदको लूटे |
सारे सन्तन का आदर है ,
मानवता का धाम || दिखा ० ॥ ३ ॥
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